जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।
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बारह हाइकु  - मुकेश कुमार श्रीवास्तव

मुकेश कुमार श्रीवास्तव के हाइकु 

(1)
काले काजल
नयनन में बसे
बने कटार
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